Rachna MURMU

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28/05/2024

जोहार🙏

26/05/2024

जोहार🙏
अरे- अरे ये क्या हो रहा, बीच सड़क में यह झाड़ी क्यों रख दी गई है,और गाड़ियां भी इसके ऊपर से जा रही हैं 😳😳देखते साथ तो हर किसी के दिमाग में यही सवाल उठा होगा 😊😊पर मैं आपको बताते चलूँ कि यह गांव वालों का एक नया तरीका है सूखे फसलों से बीज ( अरहर, चिकना आदि)को अलग करने का 😄😄, मेहनत भी बचा गई और काम भी हो गया |है न अच्छा जुगाड़ ☺☺

19/04/2024

बताओ तो जाने... कौन सा फूल है??
जोहार🙏

12/04/2024

✍️रचना मुर्मू "सार"
चल री सखी
मुर्गे ने बांग दे दी
भोर होने को है
प्रकृति भीनी- भीनी सी सुगंध से
महक रही है
चलो सखी
अपनी टोकरी ले लो
चलो चले हम इस भीनी सी खुशबू के पीछे
और बीन लाए
अपने आँगन में
रस से भरी वह पीली मटकी
जिससे यह भीनी- भीनी सी खुशबू आ रही है

महुआ जोहार🙏

Photos from Rachna MURMU's post 11/04/2024

महुआ जोहार🙏😊
महुआ बीनने की शुरुआत हो चुकी है

09/04/2024

बताओ तो जाने...
जोहार🙏😊

Photos from Rachna MURMU's post 31/03/2024

जोहार🙏
आप सभी को बाहा पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं ☺

Photos from Rachna MURMU's post 20/03/2024

आभार🙏
राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव
16-23 फरवरी 2024 "स्मारिका" में मेरी कविता को स्थान देने के लिए😊😊
चलिए 'राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव "के बारे में जान लिया जाय.....
सोहराय पर्व की पृष्टभूमि, बसंती हवा की पुलक तथा फाल्गुनी छटा के अवतरण के मध्य संपूर्ण प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत सातत्यता के साथ पूरे आन-बान-शान से परिलक्षित होता है। त्रिकुट पर्वत से निकलने वाली मयुराक्षी नदी तथा पर्वत पठारों के मध्य हिजला मेला की अवस्थिति इसे अनूठा सौंदर्य प्रदान करता है। नदी की कल-कल धारा, पक्षियों की कलरव, चह-चहाहट के मध्य मांदर, ढोल, ढ़ाक, झांझ, झांझर की धुन पर थिरकते मानव-वृंद अनायास ही सभी को झूमने के लिए मजबूर कर देती हैं। मानो प्रत्येक व्यक्ति और प्रकृति के कण-कण में हिजला का स्पंदन व्याप्त हो गया हो ।
3 फरवरी सन 1890 ई0 को तत्कालीन अंग्रेज जिलाधिकारी जॉन राबटर्स कास्टेयर्स के समय हिजला मेला की शुरुआत की गई थी । ऐसा माना जाता है कि स्थानीय परंपरा, रीति-रिवाज एवं सामाजिक नियमन को समझने तथा स्थानीय लोगों से सीधा संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से मेला की शुरुआत की गई । इसी संदर्भ में “हिजला” शब्द की व्युत्पत्ति भी “हिज लॉज़” से मानी जाती है। एक मान्यता यह भी है कि स्थानीय गाँव हिजला के आधार पर हिजला मेला का नामकरण किया गया है। वर्ष 1975 में संताल परगना के तत्कालीन आयुक्त श्री जी0 आर0 पटवर्धन की पहल पर हिजला मेला के आगे जनजातीय शब्द जोड़ दिया गया । झारखण्ड सरकार ने इस मेला को वर्ष 2008 से एक महोत्सव के रुप में मनाने का निर्णय लिया तथा 2015 में इस मेला को राजकीय मेला का दर्जा प्रदान किया गया, जिसके पश्चात यह मेला राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव के नाम से जाना जाता है ।
जोहार🙏

07/10/2023

जोहार🙏
जब भी विचार आते हैं, लिखने बैठ जाती हूँ।
मेरे आस - पास वाले यह देख कर हमेशा कहते हैं कि कभी अपनी डायरी और कलम से फुरसत मिले तो हमलोगों से भी बात कर लिया करो, तो बस उनके लिए एक ही जवाब होता है मेरा....उसके लिए विडियो पूरा देखें 😊😊और आपलोग बताए मैंने क्या जवाब दिया 😊😊

03/10/2023

मौसम बदलते ही प्रकृति में बहुत सारे बदलाव होते हैं, और ये बदलाव कभी ना कभी आपका ध्यान अपनी ओर खींच ही लेते हैं। एक दिन मेरा कैमरा इस बदलाव की तस्वीर लेने के लिए मचल पड़ा था और आज मेरी कलम अनायास ही इस बदलाव को लिखने के लिए आतुर हो पड़ी।
जोहार🙏

शून्य को तकता
तु मौन खड़ा है
सुनाता जर्रा- जर्रा
तेरी दास्ताँ है

तु साक्षी है
अनगिनत
कहानियों का
तुझमें
सारा इतिहास रमा है

तु आन ,बान ,शान है
धरा का
तुने निभाई
सच्ची वफ़ा है

तुझमें ही
शिफ़ा है
तुझसे ही
दजला-फरात है

तुझमें ही
बसती हयात है
वरना
बिन तेरे
कहाँ किसी की
बिसात है

✍️रचना मुर्मू "सार"

Note: दजला-फरात मेसोपोटामिया सभ्यता को परिभाषित करने वाली दो नदियों का समुच्चय है। विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक मेसोपोटामिया सभ्यता इन्हीं दो नदियों की घाटियों में पनपी थी। दजला मेसोपोटामिया की पूर्वी और फरात पश्चिमी ओर से बहने वाली नदी थी।( source -internet)

23/09/2023

करम पर्व पर विशेष 😊😊
करम पर्व की शुभकामनाएं 🙏🙏
जोहार🙏🙏

14/09/2023

✍️रचना मुर्मू "सार"

सुन रे ओ आईना
आज तेरे सामने
सजने- संवरने नहीं
तुझसे बातें करनी आई हूँ
मैं थोड़ी सी
हाँ बस थोड़ी सी ही सही
तुझ जैसी हो जाऊँ
जैसे तु रोशनी पड़ते ही
चमक उठता है
और तु खुद की नहीं
दूसरों के बिंब दिखाता है
वैसे ही मैं भी
अपने पुरखों की रोशनी में
चमक जाऊँ
और मुझमें मेरी नहीं
मेरे पुरखों के बिंब नजर आए
क्रमश: ........


आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जोहार🙏 😊

DHITANKTINA MANDAR BAAJE.... 09/09/2023

https://youtu.be/wG0I5KzHeVI?si=KL0KPzp1V-y3uguJ

DHITANKTINA MANDAR BAAJE.... Like.... Share... & Subscribe My channel 😊😊Follow me on :Instagram :👇👇https://instagram.com/murmu.rachna?igshid=kjfd7ig7fnc1thank you🙏❤❤

05/09/2023

जोहार🙏
सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की शुभ कामनाएं🙏

04/09/2023

This lyrics is for those who want to sing their ancestors..
संताल एक्सप्रेस 03-09-2023
जोहार🙏

01/09/2023

कास के फूल मौसम में बदलाव के सूचक हैं। कास के फूल खिलने से ही अनुमान लगा लिया जाता है कि बारिश का मौसम अब अपने अंतिम चरण में है और शरद ऋतु का आगमन होने वाला है। और अभी धरती कास के फूलों से सजी हुई है।
#पर कुछ दिनों से इतनी गर्मी लग रही की मानो गर्मी का मौसम गया ही नहीं हो। प्रकृति में आए इस बदलाव का कारण हम मानव ही है, तो परिणाम भी हमारे सामने ही है।😖😖
इसके लिए कुछ पंक्तियाँ.........
" देख पेड़ पर बैठा बोल रहा है काग
जाग रे मानव जाग
धरती पर अब और जुल्म ना दाग
तु अपने कर्तव्यों को ना त्याग
धरती पर अब और लगा ना आग"
🖋रचना मुर्मू "सार"

15/08/2023

फुरगा़ल बो़न ताहेंना
:::::::::::::::::::::::::::::::
(1)
हारखेत हों बाको बाडाय लेदा सासेत् हों बाङ
रेगेच् हों बाको बाडाय लेदा तेताङ हों बाङ
हुलगा़रिया जिवी सुधाको आलाय केदा
होड्मो रेयाक् ठोप हाबिच् आको़वा
मायाम को आतूकेदा
गोबोल दिसा़म को सा़धिन केदा
15 अगस्त सा़गुन आनाक्
दिन को बेना़व केदा
(2)
आबो़मा फुरगा़ल दिसा़म रे बो़न ताहे़ंनोकान
ञेंलमें भारोत दिसा़म रेयाक् पे रोङान चिर
फुरगा़ल रेयाक् होय रे हिपिङ- हिपिङो कान
अंग्रेज गोबोल खो़न मा बो़न फुरगा़ल एना
मेनखा़न ओन्तोर रे भोय, मो़न दुक
आर जिवी हिरद ताहे़ंनोकान
मो़ने ओन्तोर धुक-धुकए आयका़वेकान
सा़धिन भारोत दिसा़म नित हों
डिगिर-डिगिर जुलुक् कान
बेसुलूक, बेबा़डिच् मा़नसुबा़, अशिक्षा आर बेरोज़गारी ते
फुरगा़ल दिसा़म रे अपना़र धुड़ी धरती रे बो़न
गोबोल ओचोक् कान
(3)
15 अगस्त सा़धिन दिवस रेयाक् उद्देस देलाबो़न सा़रिया
नोवा फुरगा़ल माहा दो जिवा़त् गेबोन दोहोया
बेसुलूक, बेबा़डिच् मा़नसुबा़, अशिक्षा आर बेरोज़गारी रेयाक्
गोबोल खो़न बो़न फुरगा़लो मा
अपनार मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्य
आर संविधान बो़न बाडाय ताबो़न मा
15 अगस्त प्रति सेरमा दिसा़ ओचोयेबो़न
फुरगा़ल बो़न ञाम लेदा
आर फुरगा़ल बो़न ताहेंना ।।
🖋रचना मुर्मू "सार"

Photos from Rachna MURMU's post 11/08/2023

ये हमारी हौसलों की उड़ान है
जिसमें शब्दों के तीर कमान हैं
रखी थी जो हमने मन में अब तक
पहुंचेगी अब लोगों के दिलों तक
🖋रचना मुर्मू "सार"

"समकालीन आदिवासी कविताएं" पुस्तक का लोकार्पण उत्सव पद्मश्री प्रोफ़ेसर जामुन सिंह सोय, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार आदरणीय भोगला सोरेन, ओडिशा साहित्य एकादमी सभापति डॉ. हृषिकेश मल्लिक, डॉ. रामदयाल मुंडा ट्राइबल रिसर्च सेंटर के निर्देशक राणेद्र सर के हाथों टी.आर.आई,रांची में हुई।इस सुनहरे पल की कुछ झलकियाँ आपलोगों के साथ साझा करते हुए 😊😊🙏🙏
आप सभी हमें पढ़े और हमारा हौसला बढ़ाएँ। 🙏🙏

Photos from Rachna MURMU's post 09/08/2023

जोहार🙏
आज एक बार फिर आपलोगों के बीच विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर हाजिर हैं हम अपने आदिवासी भाई- बहनों के रचनाओं के साझा संकलन के साथ। इस बार सह- लेखिका के साथ - साथ संपादक मंडल का सदस्य बनने का मौका मिला।
इस पुस्तक में आप मेरी कविताओं के साथ- साथ मेरे लेखक साथियों की कविताओं को पढ़ सकते हैं। इस पुस्तक में झारखंड, ओड़िसा, बिहार और उत्तर प्रदेश के कवियों की कविताओं से आप रूबरू हो सकेंगे। यह पुस्तक जल्द ही online Amazon or flipkart में उपलब्ध हो जाएगी।
आप भी इस समारोह का हिस्सा बने और हमारा हौसला बढ़ाएं।
सादर आमंत्रित
धन्यवाद🙏😊😊

07/08/2023

जोहार🙏
कुछ चीजें हैं जो आपको शहर में नहीं बस गांव में ही मिल सकते हैं, वो भी बिल्कुल मुफ्त।
क्या आप बता सकते हैं यह क्या है जिसको तोड़ते- तोड़ते मेरी उँगली में काला दाग हो गया।😊

24/07/2023

जब आप मौसम की खूबसूरती को देखकर खुद को रोक न पाएँ 😊☺

24/07/2023
23/07/2023

भाग लें।
जोहार🙏

Photos from Rachna MURMU's post 21/07/2023

जहाँ देवियों को पूजा जाता
वहीं स्त्रियों को नोचा जाता
कुछ तो शर्म करो
आदिवासी स्त्रियों पर अत्याचार बंद करो

नहीं चाहिए ऐसा राज
जहाँ हर रोज गिरे आदिवासी स्त्रियों पर गाज
कब तक आखिर कब तक
आदिवासी स्त्रियाँ राजनीति की भेंट चढ़ाई जाएगीं
कब तक आखिर कब तक
उसके अस्मिता को लुटकर
वह तिल- तिल मारी जाएगीं

गर पांडव बन कर तुम
द्रोपदी का चिर हरण देखोगे
तो हम वीर बिरसा, वीर तिलका
वीर सिदो- कान्हू, फूलो- झानो
वीर डिबा -किसून बन कर
उलगुलान करेंगे

✍️- रचना मुर्मू "सार"



Pic- newspaper & internet

16/07/2023

अत्यंत संवेदनशील जनजातीय समुदायों (PVTG)के युवाओं के लिए कर्मचारी चयन आयोग, झारखण्ड की प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए निशुल्क आवासीय कोचिंग टी आर आई,रांची में अगस्त" 23 से प्रारम्भ करने की योजना है ।
विनम्र अनुरोध है कि कृपया अपना सहयोग प्रदान किया जाए ,प्रचार _प्रसार और आवेदन भरवाने में ।
मंगलकामनाओं के साथ
जोहार🙏

11/07/2023

✍️रचना मुर्मू "सार"
जिंदगी का दौर
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
वह भी क्या दौर था जब बारिश में
खेतों में हल चलाते थक जाते थे
तब हल जोतते साथियों को देख कर
शरीर में ऊर्जा आ जाती थी
जुताई के बाद
आँखें तब नम हो जाती थी
थाली छोटी पड़ जाती थी भोजन परोसने पर
सब मिल बाँट कर खाना खाया करते थे
सारी थकावट दूर हो जाती थी

और आज यह दौर है
दूर- दूर तक कोई नहीं दिखता
न साथी मिलते हैं न ऊर्जा आती है
पेड़ की छाँव दूंढकर
टूटते बदन के साथ
बैठ जाता हूँ तन्हा
और आँखें आज भी नम हो जाती हैं
भोजन के तीन खाने के डिब्बों में भी अब कम पड़ जाती है

Pic: internet

Photos from Rachna MURMU's post 22/12/2022

22 दिसंबर- संताल परगना स्थापना दिवस की शुभकामनाएँ
जोहार🙏🙏
22-12-2022- संताल एक्सप्रेस

Photos from Rachna MURMU's post 21/12/2022

संताल एक्सप्रेस-21-12-2022
जोहार🙏

19/12/2022

का करूँ, कहाँ जाऊँ
--------------------
प्रकृति की हर कला, रंग और छटा हममें जगजाहिर
नगाड़ा, करह, ढोल, घण्टी, तुरही, बजाने में हम माहिर

हमारे पूर्वज हमें डानठा नाचते- नाचते
शिकारी युग से कृषि युग में तो ले आए
पर वर्तमान की स्थिति देख हजारों सवालों के
बौछारों से चेतना भर जाए

कहाँ करूँ मैं खेती, कैसे बचाऊँ मैं अपनी सभ्यता- संस्कृति
बढ़ती नगरीकरण की मार हमारी जमीं को बंजर करती जा रही
बाहरी लोगों के छल- कपट की आग हमारे समाज को जर्जर करती जा रही

सारजोम (साल), मातकोम (महुआ) फूल बिना कैसे मनाऊँ मैं बाहा
मैं ठहरा शिकारियों का वंशज सिंगराई गीत गाऊँ कहाँ,दोगेड़ नाचूँ कहाँ
कहाँ करूँ मैं माघ बोंगा, एरो: बोंगा, मुचरी बोंगा और जानतार बोंगा
वनों को काटकर बड़े- बड़े कारखाने बनवाए जा रहे
और टांडी (मैदान) तो पावर प्लांट में बदले जा रहे

कहाँ गाऊँ मैं डहार और करम गीत हे काराम गोंसाय
अब तो सारे पेड़- पौधे, फल- फूल, नदी- नाले, पहाड़- पर्वत
निरंतर विकास के नाम पर सरकार द्वारा अधिग्रहित होते जा रहे

अब का करूँ हे माराड॰ बुरू
कहाँ जाऊँ हे जाहेर आयो
सबका साथ सबका विकास के नारे में बस हर दिन हर क्षण
हम अपनी ज़मीं से ही विस्थापित किए जा रहे ।।
✍️ रचना मुर्मू "सार"
गोड्डा,झारखंड
Pic@: internet

28/11/2022

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जोहार🙏अरे- अरे ये क्या हो रहा, बीच सड़क में यह झाड़ी क्यों रख दी गई है,और गाड़ियां भी इसके ऊपर से जा रही हैं 😳😳देखते साथ...
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