Rohit Yadav
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भारत के समाजवादी कार्यकर्ता।
प्रदेश ?
राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी को उनके जन्मदिवस के शुभ अवसर पर अनंत शुभकामनाएं।
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया हस्तिनापुर-बिजनौर भीमकुंड पुल संपर्क मार्ग। जनता पूछ रही है, अधिकारी निरीक्षण पर जाते हैं या ‘भ्रष्टाचार भ्रमण’ पर?
अत्यंत दुखद!
लद्दाख में देश की सेवा करते हुए कानपुर के लाल भारतीय सेना के जवान श्री विनीत यादव जी वीरगति को प्राप्त हुए।
शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना।
शत शत नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजलि।
महान वीरांगना रानी दुर्गावती जी की पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन।
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी पटना पहुंचे।
समाजवादी पार्टी का बड़े दिल से साथ दें।
जय समाजवाद॥
मोहब्बत नेता से नहीं देश से करो।
“पढ़ लिख कर युवा बेरोजगार घूम रहे हैं बाजारों में,
गांवों में कितना शकुन सा है चारों ओर शांत प्रकृति का वास.... जिधर भी जाओ का हों भैया काका चाचा का हाल बा.... खाना भी शुद्ध देसी
दही घी दूध पीजिए खाइए छाछ पीजिए थोड़ी सी हल्की नमक स्वादानुसार मिलाकर मन तन दोनों भर जाता हैं शहरों में तो भागम भाग हैं भागते जाइए दिन रात ड्यूटी इससे ज्यादा समय भी नहीं मिल पाता है सीमेंट कांक्रीट के जंगलों में 500 स्क्वायर फीट ऊंची मकानों में ख़ुद को कैद कर लीजिए.... बाहर की दुनियां कोई ख़ोज खबरें भी नहीं लेना वाला है.. प्रकृति के नाम पर आर्टफिसियल फूल पौधे....... कुछ भी कहिए अपना गांव देहात खेत खलिहान गांव की पगडंडियां अपने लोग अपना परिवार अपने बचपनों के दोस्त मित्र इससे ज्यादा क्या चाहिए..... शकुन सा है गांवों में...... गांव आए हैं तो सभी से मिलकर ही जाना है ......!!!
देश की प्रथम नागरिक, महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।💐
हमे उम्मीद है कि जो भारतीय जनता पार्टी को हराना चाहते हैं वो दल समाजवादी पार्टी का बड़े दिल से साथ दें।
- माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी॥
महान व्यक्तियों का सम्मान वस्तुतः उनके महान विचारों एवं कार्यों का सम्मान होता है।
मा. नेता जी के ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित होने पर हार्दिक नमन!
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की पूज्यनीय माता जी का निधन अत्यंत पीड़ादायक है।
मैं प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं माननीय प्रधानमंत्री जी और परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें ।
॥ शत शत नमन ॐ शांति ॐ ॥
बना कर दिये मिट्टी के, जरा सी आस पाली है
मेरी मेहनत खरीदो यारों, मेरे घर भी दीवाली है।
शिक्षा सवाल पूछती है।
सवाल से सख़्त नफ़रत है सरकार को॥
श्रद्धांजलि अर्पित कार्यक्रम !
दिनांक - 21 अक्टूबर 2022 - दिन शुक्रवार ॥
आपकी मधुर स्मृति, स्नेह, आदर्श, मार्गदर्शन, आशीर्वाद हमारे लिए सदैव प्रेरणादायक रहेंगे।
पूज्य नेता जी को कोटिशःनमन।🙏🏻आप सदैव हम सबके बीच जीवित रहेंगे!
अलविदा #धरतीपुत्र 🙏🏻
नेताजी की अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब आँखे नम:और
मन भाउक 😭
भगवान नेताजी को अपने चरणो में अस्थान दें॥
यमुना एक्सप्रेसवे से गुजरता नेताजी के पार्थिव शरीर का काफिला।
करोड़ों लोगों के आशा की किरण समाजवाद के नायक धरतीपुत्र नेताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे!
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि |
प्रदेश नही पूरे देश के नक्शे पर हमको पहचान दिया है तुम्ही ने!
धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव
समाजवाद का सूरज आईसीयू में है!
मन बहुत भावुक है…दुआ कीजिए…
आप तब तक यह नहीं समझ पाते कि आपके लिए कौन महत्वपूर्ण है, जब तक आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देते।
समाजवादी पार्टी में उच्च पदों पर बैठे लोगों को माननीय मुलायम सिंह यादव जीं से अभी बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत हैं।
शिक्षा ही विकास की जननी है!
सनातन धर्म के ध्वजवाहक, अनंत श्री विभूषित जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के देवलोकगमन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ है…प्रभु से उनकी आत्मा को शांति एवं असंख्यों शोकाकुल अनुयाइयों को संबल प्रदान करने की अनुकम्पा…ॐ शांति...
मोदी है तो मुमकिन हैं #
हर हर मोदी घर घर मोदी #
जय समाजवाद।
Mission 024 #
माननीय श्री मुलायम सिंह यादव जी जल्द से जल्द स्वस्थ हो कर अपने घर परिवार में लौटे स्वस्थ रहे और अपने परिवार के साथ खुश रहे प्रार्थना है हम सबकी ।
हम उन शहीदों को प्रणाम करते हैं !
फांसी चढ़ गए और सीने पर गोली खाई
जो मिट गए देश पर उन शहीदों को नमन !
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
हर घर तिरंगा।
जय समाजवाद॥
जी डी पी नही सुधार पाए तो,
देश को डी पी बदलने मॆं लगा दिया 🙏
एक दूकान पर लस्सी का ऑर्डर देकर हम सब दोस्त- आराम से बैठकर एक दूसरे की खिंचाई और हंसी-मजाक में लगे ही थे कि, लगभग 70-75 साल की बुजुर्ग स्त्री पैसे मांगते हुए हमारे सामने हाथ फैलाकर खड़ी हो गई।
उनकी कमर झुकी हुई थी, चेहरे की झुर्रियों में भूख तैर रही थी। नेत्र भीतर को धंसे हुए किन्तु सजल थे।
उनको देखकर मन में न जाने क्या आया कि मैंने जेब में सिक्के निकालने के लिए डाला हुआ हाथ वापस खींचते हुए उनसे पूछ लिया:
दादी लस्सी पियोगी?
मेरी इस बात पर दादी कम अचंभित हुईं और मेरे मित्र अधिक क्योंकि अगर मैं उनको पैसे देता तो बस 5 या 10 रुपए ही देता लेकिन लस्सी तो 40 रुपए की एक है।
इसलिए लस्सी पिलाने से मेरे गरीब हो जाने की और उस बूढ़ी दादी के द्वारा मुझे ठग कर अमीर हो जाने की संभावना बहुत अधिक बढ़ गई थी।
दादी ने सकुचाते हुए हामी भरी और अपने पास जो मांग कर जमा किए हुए 6-7 रुपए थे, वो अपने कांपते हाथों से मेरी ओर बढ़ाए।
मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैने उनसे पूछा, ये किस लिए?
इनको मिलाकर मेरी लस्सी के पैसे चुका देना बाबूजी।
भावुक तो मैं उनको देखकर ही हो गया था। रही बची कसर उनकी इस बात ने पूरी कर दी।
एकाएक मेरी आंखें छलछला आईं और भरभराए हुए गले से मैने दुकान वाले से एक लस्सी बढ़ाने को कहा।
उन्होने अपने पैसे वापस मुट्ठी मे बंद कर लिए और पास ही जमीन पर बैठ गई।
अब मुझे अपनी लाचारी का अनुभव हुआ क्योंकि मैं वहां पर मौजूद दुकानदार, अपने दोस्तों और कई अन्य ग्राहकों की वजह से उनको कुर्सी पर बैठने के लिए नहीं कह सका।
डर था कि कहीं कोई टोक ना दे। कहीं किसी को एक भीख मांगने वाली बूढ़ी महिला के उनके बराबर में बिठाए जाने पर आपत्ति न हो जाये।
लेकिन वो कुर्सी जिस पर मैं बैठा था, मुझे काट रही थी।
लस्सी कुल्लड़ों में भरकर हम सब मित्रों और बूढ़ी दादी के हाथों मे आते ही मैं अपना कुल्लड़ पकड़कर दादी के पास ही जमीन पर बैठ गया क्योंकि ऐसा करने के लिए तो मैं स्वतंत्र था।
इससे किसी को आपत्ति नहीं हो सकती थी।
हां, मेरे दोस्तों ने मुझे एक पल को घूरा, लेकिन वो कुछ कहते उससे पहले ही दुकान के मालिक ने आगे बढ़कर दादी को उठाकर कुर्सी पर बैठा दिया और मेरी ओर मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर कहा:
ऊपर बैठ जाइए साहब! मेरे यहां ग्राहक तो बहुत आते हैं, किन्तु इंसान तो कभी-कभार ही आता है।
दुकानदार के आग्रह करने पर मैं और बूढ़ी दादी दोनों कुर्सी पर बैठ गए हालांकि दादी थोड़ी घबराई हुई थी मगर मेरे मन में एक असीम संतोष था।
तुलसी इस संसार में, सबसे मिलिए धाय।
ना जाने किस वेश में, नारायण मिल जाय।।
वाह रे मोदी सरकार!
कोई नही है टक्कर में, क्यूँ पड़े हों चक्कर में॥ #
हम तुम पर इतने टैक्स लगा देंगे,की तुम खुद कंफ्यूज हो जाओगे,
कमाए कहां से और भरे कहां से..!!
ना खायेंगे - ना खाने देंगे॥
हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,पहला चरण कैंची और दूसरा चरण डंडा तीसरा चरण गद्दी........
तब साइकिल चलाना इतना आसान नहीं था क्योंकि तब घर में साइकिल बस पिताजी या चाचा चलाया करते थे तब साइकिल की ऊंचाई 40 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना संभव नहीं होता था...
"कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे।
आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से महरूम है उन्हे नहीं पता की आठ दस साल की उमर में 40 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था...
हमने ना जाने कितने दफे अपने घुटने और मुंह तोड़वाए हैं और गज़ब की बात ये है कि तब दर्द भी नहीं होता था, गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपने हाफ कच्छे को पोंछते हुए।
अब तकनीकी ने बहुत विकास कर लिया है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में...
मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी! "जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं...
इधर से चक्की तक साइकिल लुढकाते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए ! इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी...
और ये भी सच है की हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी, हम लोग की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !
पहला चरण कैंची
दूसरा चरण डंडा
तीसरा चरण गद्दी
(फिर बादशाहों वाली फीलिंग्स) —
सही कहा था मोदी जी आपने - 'रुपया वही का गिरता है जहां की सरकार गिरी हुई होती है'
क्या अब यूपी में कोई "नेता जी" या मान्यवर कांशीराम होगा ?
पहलवान बूढ़ा हो गया...वरना राम लहर भी इसी पहलवान ने फासिस्टों के अच्छे अच्छे धुरंधरों को धूल चटाई थी...
नेता जी! आपकी कर्मभूमि अब एक आंदोलन के लिए तरस रही है, वो आंदोलन जो ऑफिस में बैठकर प्रेस कांफ्रेंस या ट्विटर से ना हो, बल्कि वो आंदोलन जो जेल भर कर हो...
इकट्ठा कीजिए फिर से बिखरते हुए सपाइयों को, फिल्टर लगाइए, छांट छांट कर अलग कीजिए फोटोबाजों को, फिर से कैडर के गुण बताइए, जिंदा कीजिए उस समाजवाद को जिसमे आजम खान, मोहन बाबू, बेनी बाबू, जनेश्वर मिश्र हुआ करते थे, अब तो सपा में भी मोनोपॉली का दौर है... हम सब आपको नेता जी कहते हैं, लेकिन चमचों ने आपके बेटे को बॉस और सपा को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना दिया है।
आप में अभी भी इतनी क्षमता है।
वरना याद रखिए आप जिस युग से यूपी को निकाल कर लाए थे आपका यूपी फिर वहीं पहुंच जाएगा।
सिराथू से समाजवादी पार्टी की माननीय विधायक डॉ पल्लवी पटेल जी की कल अचानक तबीयत खराब हो जाने के कारण मेदांता अस्पताल में न्यूरो आईसीयू वार्ड मे भर्ती हैं। हालत अभी स्थिर है। ईश्वर से प्रार्थना है जल्द स्वस्थ हो॥
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